नोएडा में देश का सबसे बड़ा सेंटर बनाएगी माइक्रोसॉफ्ट
दुनिया की सबसे नामी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट इंडिया देश का सबसे बड़ा सेंटर नोएडा में बनाएगी। कंपनी 3500 से अधिक लोगों को रोजगार देगी। नोएडा प्राधिकरण ने कंपनी को 60 हजार वर्ग मीटर जमीन आवंटित की है। अभी तक कंपनी का हैदराबाद के गाची बावली में सबसे बड़ा ऑफिस है। कंपनी ने प्राधिकरण के समक्ष दावा किया है कि तय समय यानि पांच साल से पहले ही यहां पर शुरुआत कर दी जाएगी ताकि एनसीआर में रहने वाले लोगों को इसका फायदा मिल सके।
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि सेक्टर-145 स्थित भूखंड संख्या ए-01 व ए-02 में जमीन आवंटित की है। आंवटित की गई जमीन का कुल प्रीमियम 103 करोड़ 66 लाख रुपये है। यह जमीन आईटी-आईटीईएस के उपयोग के लिए दी गई है। नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी राजेश सिंह ने बताया कि कंपनी के आने से एनसीआर क्षेत्र में निवेश एवं रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। कंपनी की यह भारत में सबसे बड़ी परियोजना होगी। इससे न केवल नोएडा बल्कि पूरा एनसीआर क्षेत्र सॉफ्टवेयर हब के रूप में विकसित होगा।
अन्य कंपनियां भी आएंगी : ओएसडी ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के नोएडा में आने से सॉफ्टवेयर क्षेत्र की अन्य कंपनियां भी नोएडा की तरफ आर्कषित होंगी। अधिकारियों ने बताया कि योजना की शर्तों के तहत कंपनी को 30 अप्रैल तक 40 प्रतिशत आवंटन धनराशि जमा कराते हुए रजिस्ट्री की प्रक्रिया करानी होगी। बाकी 60 प्रतिशत राशि 8 छमाही किश्तों में देनी होगी। परियोजना का निर्माण पांच साल में पूरा करना होगा हालांकि कंपनी ने दावा किया है तय समय से पहले ही कंपनी यहां काम की शुरुआत कर देगी।
एक्सप्रेस-वे के पास कनेक्टिविटी आसान होगी
कंपनियों को जो प्लॉट दिए जा रहे हैं वह सेक्टर-145 में दिए जा रहे हैं। इसके पास ही नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे है। ऐसे में लोग यहां आसानी से पहुंच सकेंगे। एक्सप्रेस-वे के जरिए ग्रेटर नोएडा, दिल्ली व यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिए कम समय में गंतव्य को जा सकेंगे।
बड़ी कंपनियों का ठिकाना बना शहर
माइक्रोसॉफ्ट का नोएडा में आना यहां के लिए बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन इससे पहले भी देश की कई नामी कंपनियों के यहां पर ऑफिस हैं। इनमें लाखों लोग काम कर रहे हैं। इनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टीसीएस, इंफोसिस, एडोब, एनआईआईटी टेक्नोलॉजीज समेत कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं। नोएडा में अधिकतर सॉफ्टवेयर से जुड़ी कंपनियां पिछले करीब 10 साल में यहां आई हैं।